बोलने से पहले हज़ार बार सोच लें

ज़रा रुकिये इतनी जल्दबाज़ी क्यों! ज़रा सोचिए फिर बोलिये कई बार हम किसी बात को लेकर बहुत ज़्यादा बोल देते हैं। और जिस time आप बोल रहे होंगे उस moment पर आपको लगेगा कि आप अपनी जगह सही हो। लेकिन जब आप अपने घर आ जाओगे,बात शांत हो जाती है, तब आप उस बारे में सोच रहे होंगे तो आपको Realize होगा कि यार मुझे इतना नही बोलना चाहिए था, शायद में गुस्से में कुछ ज़्यादा ही बोल गया। उस समय आपको पछतावा ( Regret feel ) होगा आपको जो बोलना था वो तो आप बोल आए अब आपके यहाँ सोचने से कुछ नही होगा,तो ध्यान देने वाली बात है कि आपको बोलने से पहले सोचना चाहिए और आपका अपने( शब्दों पर कंट्रोल होना चाहिए) • इसमे भी दो बात है,ज़्यादा बोल जाने में, और अपशब्द बोलने में और ( अपशब्दों का तो use ही नही होना चाहिए) बड़े बुज़ुर्गो ने कहा है कि--- 'गोली का घाव भर जाता है मगर बोली का नहीं' तो हमेशा ऐसे बोलो जिससे सामने वाले को बुरा ना लगे ** इसका मतलब यह भी नहीं है कि कोई हद पर कर दे और हम शांत रहें, जबाब देना भी जरूरी होता है, ज्यादा भी झुकना ठीक नहीं है वरना लोग कमर का पायदान बना लेते हैं...