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Showing posts from March, 2021

बोलने से पहले हज़ार बार सोच लें

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ज़रा रुकिये इतनी जल्दबाज़ी क्यों! ज़रा सोचिए  फिर बोलिये कई बार हम किसी बात को लेकर बहुत ज़्यादा बोल देते हैं। और जिस time आप बोल रहे होंगे उस moment पर आपको लगेगा कि आप अपनी जगह सही हो। लेकिन जब आप अपने घर आ जाओगे,बात शांत हो जाती है, तब आप उस बारे में सोच रहे होंगे तो आपको Realize होगा कि यार मुझे इतना नही बोलना चाहिए था, शायद में गुस्से में कुछ ज़्यादा ही बोल गया। उस समय आपको पछतावा ( Regret feel ) होगा  आपको जो बोलना था वो तो आप बोल आए अब आपके यहाँ सोचने से कुछ नही होगा,तो ध्यान देने वाली बात है कि आपको बोलने से पहले सोचना चाहिए  और आपका अपने( शब्दों पर कंट्रोल होना चाहिए)  • इसमे भी दो बात है,ज़्यादा बोल जाने में, और अपशब्द बोलने में और ( अपशब्दों का तो use ही नही होना चाहिए) बड़े बुज़ुर्गो ने कहा है कि--- 'गोली का घाव भर जाता है मगर बोली का नहीं'  तो हमेशा ऐसे बोलो जिससे सामने वाले को बुरा ना लगे   ** इसका मतलब यह भी नहीं है कि कोई हद पर कर दे और हम शांत रहें, जबाब देना भी जरूरी होता है, ज्यादा भी झुकना ठीक नहीं है वरना लोग कमर का पायदान बना लेते हैं...

वो करिये जो आपको अच्छा लगता है।।

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अपनी Life के मालिक बनो! जिंदगी किसकी आपकी फिर जिनी किसके हिसाब से है। अपने से या दूसरों के हिसाब से हर किसी का जबाब मिलेगा कि जिंदगी अपने हिसाब से जीनी है। लेकिन जिंदगी को अपने हिसाब से जीते कितने लोग है। जबाब है, बहुत कम सोचिये की आपने Last time ऐसा कौन सा काम किया जो दूसरों के कहने पर किया फिर जो आपने काम किया उस काम को आपने कितना Enjoy किया और नही। और दूसरी ओर आपका वो काम जो आपने खुद की पसंद से किया और उस काम को आपने कितना enjoy किया। ज़्यादातर लोग का जो जबाब है, वो यही है कि जिंदगी अपने हिसाब से ही जीनी है।( लेकिन वो Decision आपको कोई नुकसान ना दे) आपको पता है। आपको दूसरों के हिसाब से जीने में इसलिए आंनद नही आ रहा क्योंकि उसमें हो सकता है आपकी रूचि न हो और दूसरा उस काम में आपके पास Options (Choice) बहुत थी  (कोई कुछ बोलेगा और कोई कुछ ) और जहाँ choice होती है वहाँ focus कम  होता है।       Ex:- आप Cricket, Football, volleyball तीनो Game खेलते हो तो ये बात पक्की है कि आपकी command तीनों Games पर equal (बराबर) नही हो सकती किसी एक...